Monday 26 March 2018

मेट्रो डिज़ाइन में घुसा डर का भूत

मुझे हंसी आती है जब एक अच्छे खासे मेट्रो स्टेशन के डिज़ाइन को तोड़ मरोड़ दिया जाता है। इनमे से एक बड़ा कारण है - डर का भूत। अक्सर ये भूत उन लोगों पर सवार होता है जो ऐसी ऐसी दलीलें देकर डिज़ाइन खराब करवा देते हैं। कुछ रत्न ढूंढ कर लाया हूँ ऐसे महान वक्तव्यों का - गौर करें----
1. अरे भाई ये इंडिया है - हमारे कांट्रेक्टर ये सब नही बना सकते। (अबे फिर ऐसे कांट्रेक्टर क्यों रखते हो?)
2. पिछली बार स्टेशन में पानी भर गया था, इस बार एक बूंद भी पानी अंदर नही आना चाहिये। (लो कर लो बात, हवा कहां से आएगी )
3. कोर कटिंग कर लेंगे बाद में, पहले GFC इशू कर दो (पहले GFC का मतलब तो समझ ले)
4. वेंडर से शॉप ड्राइंग दिलवा दीजिये तो हम डिज़ाइन ड्राइंग दे देंगे (वेंडर को रात में सपना आएगा कि क्या बनाना है)
5. आर्किटेक्ट को कहो कि साइट पर as built कंडीशन देखकर ड्राइंग इशू कर दे (भाई अब तक का काम कैसे करा था)
6. कोई चीज़ राइटिंग में नही आनी चाहिए इशू बंनाने से फालतू फसेंगे (हो गयी क्वालिटी कंट्रोल की ऐसी की तैसी).
7. ये तो फाल्स सीलिंग से छुपा देंगे (लेकिन ठीक नही करेंगे)

सोच है या शौचालय?